न जाने किस ओर मुड़ रहा है कोई रोको मेरा देश फिर बट रहा है...


By सपना शुक्ला


जगनमोहन रैड्डी ने एक ऐलान किया कि अब आंध्रप्रदेश की कंपनियों में 75 फीसदी आंध्रप्रदेश के लोगों को नौकरी मिलेगी..... इसी के साथ एक  बात जो स्पष्ट हो गई वो है कि अगर आप बिहारी हैं तो भूल से भी नौकरी के लिए आंध्रप्रदेश कि तरफ ना देखें, अगर आप यूपी से हैं तो आप भूल जाईये आंध्रप्रदेश का रास्ता, अगर आप मध्यप्रदेश से हैं तो भूल जाइये.... सौ की एक बात अगर आप आंध्रप्रदेश के अलावा किसी भी औऱ राज्य से हैं तो आप आंध्र में केवल 25 फीसदी की नौकरी की लड़ाई में ही खुद को शामिल करें........
कितनी लड़ाई लड़ी थी गांधी जी ने एक भारत का सपना देखा गया था...... कितनी लड़ाई  लड़ी शहीद भगत सिंह ने कि इस देश के टुकड़ें नहीं होने चाहिए... नेहरू जी ने कितनी मुश्किलों के साथ इस कई रियासतों के देश को एक बनाया था......

लेकिन अफसोस है कि ये देश एक बार फिर बट रहा है, कभी मराठा कहता है कि उसको उसके हक चाहिए और उन प्रदर्शकरियों की भीड़ में उग्रवादी मिल जाते हैं....रेल रोको आंदोलन करते हैं तो सत्ता धारियों को अपनी कुर्सी हिलती दिखती है तो वो भी आरक्षण की भीख दे देते हैं, कभी पटेल समुदाय कहता है कि उनकी नौकरी छीनी जा रही हैं तो वो भी सड़कों पर उत्तर जाते हैं और उनमें से हार्दिक पटेल जैसे नेता का जन्म होता है जो उन हजारों पटेलों के कंधें पर चढ़ कर टीवी की स्क्रीन पर बैठ जाता है..और सत्ता के सपने संजोने लगते हैं...... , कभी गुर्जर निकल कर आते हैं और कहते हैं कि उनसे उनका हक छीना जा रहा है तो वो भी कहते हैं कि हमें आरक्षण चाहिए...... महाराष्ट में बिहारियों को खदेड़ कर बाहर निकल दिया जाता है
आखिर ये इस देश के टुकड़े नहीं तो और क्या है... हमारा भविष्य रोज़ अपने स्कूल में गाता है ‘विन्ध हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधि तरंग’  नहीं अब ये देश एक नहीं रहा है और ये सब साजिश रची जाती है देश की संसद में बैठ कर जिसको फेसबूक और वाट्सएप यूनिर्वसिटी के जरीए लोगों तक भेजा जाता है......
क्यों जेएनयू में एक लड़का अगर बिहारी होता है तो उसकी पिटाई कर दी जाती है.... क्या बिहार देश का अभिन्न हिस्सा नहीं है.... क्यों हम जब किसी से कहते हैं बड़े ही जोर के साथ अपने नाम के पीछे की ब्रह्मण वाली कास्ट को उंची आवाज़ में बता देते हैं... क्यों न्यूज़ की सुर्खियों में बोल्ड अक्षरों में लिखा होता है दलित के साथ किया गया... ( क्या अगर किसी और के साथ होता तो वो अपराध नहीं  होता )  क्यों हम कहते हैं कि ये मुस्लिमों का गढ़ है...

अभी भी वक्त है बेहतर होगा देश ये समझ जाए की जब नरसंहार होता है तो ये राजनेता केवल जेड प्लस सिक्योरिटी में बैठे रहते हैं मरता है तो केवल और केवल देश का बेकसूर नागरिक............
नेहरू जी ने अलग अलग राज्यों को बनाया था तो सिर्फ इसलिए की इस देश के हर नागरिक को खुश रखा जा सके उसके अधिकार का हनन ना हो , ना कि इसलिए की हम बिहारी, यूपी, साउथ इंडियन, मुल्ला, कश्मीरी, असमी में बट जाएं...... समझो मेरे यारों ये केवल साजिश है वो साजिश जो हर विधानसभा में , देश की संसद में बैठ कर रची जा रही है... धर्म से बड़ा जाति से बड़ा कुछ है तो इंसान की इंसानियत केवल औऱ इंसानियत...

वतन की फ़िक्र कर नादां, मुसीबत आने वाली है
तेरी बरबादियों के चर्चे हैं आसमानों में,
ना संभलोगे तो मिट जाओगे ए हिंदोस्तां वालों
तुम्हारी दास्तां भी न होगी दास्तानों में.


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 लेख़क सपना शुक्ला पेशे से पत्रकार और ख़ास कर अपनी बेबाक़ लेखनी के लिए जानी जाती हैं और खुल कर देश के सभी मुद्दों पर अपनी राय रखतीं हैं
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Comments

Unknown said…
धन्यवाद आप के लेख में दर्द छुपा हुआ है देश वासियों के लिए।बधाई हो।जय श्री कृष्ण

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